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Sunday, January 10, 2010

Beetein Lamhe - By ME.

बीते लम्हें

पहले प्यार को कैसे भूल जाए हम
जब पहला प्यार ही हमें भूलता नहीं


जब यार ही बना रखा है अपना
और साथ हमारा छूटता नहीं


दिल तोड़ दिया था उस ज़ालिम ने
ज़िन्दगी के ऐसे मोड़ पर 


जब साथ किसी का चाहता था
चली गई वोह ऐसे हमे छोड़ कर


आज भी याद है हमे वोह कुछ हसीं पल
जो साथ बिताये थे हमने


कुछ डरी सी थी वोह
कुछ सहमाई सी
के कोई देख लेगा उसे
इस बेरहम दुनिया के भीड़ में


हम भी डरा करते थे
उस भीड़ से नहीं
उस दुनिया से नहीं
पर उस जुदाई से
जो कुछ ही पलों में हो जाती थी उनसे


मुलाकाते भी कैसी थी
हम बस उनको देखते रहते
और वोह बातों में उलझी हुई


इन बातों से बेफिक्र
के एक आशिक है उनका इस दुनिया में
जो अपनी जान से भी ज्यादा चाहता है उसे


काश वोह इन आँखों को पढ़ पाती
काश वोह इस दिल के अरमानों को समाज जाती


पर बीत गये वोह लम्हे
ठहर गयी वोह राहें और सहर


रह गया अब सिर्फ आसमान
पूनम की रात में भी चाँद के बगैर


न जाने अब कभी वोह दिन फिर आएगा या नहीं
न जाने अब कभी वोह पल फिर आयेंगे या नहीं


बस यादें रह गयी है अब
और ज़िन्दगी उन यादों के सहारे

- विनायक नाईक



1 comment:

Sanjay said...

Very very touchy my dear frd.